राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में देश के 50 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पद के लिए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को शपथ दिलाई है। इस शपथ के बाद वह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद पर 10 नवंबर 2016 तक रहेंगे। इसके पहले उदय उमेश ललित चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया थे।
जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के पिता भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रह चुके हैं। उनके पिता का नाम जस्टिस वाईसी चंद्रचूड़ है जो कि 7 साल तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने रहे हैं एवं उनके नाम सबसे लंबे समय तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने रहने का रिकॉर्ड है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का शैक्षणिक इतिहास
जस्टिस धनजय यशवंत चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को पुणे में हुआ था। उन्होंने अपनी ला की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफस कॉलेज से की थी।
यहां पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से LLM किया एवं इसके बाद उन्होंने न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की।
अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद वापस लौट आए और यहां आने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे।
CJI चंद्रचूड़ का जज बनने का सफर
मुंबई हाई कोर्ट के जज बनने से पहले 1998 से 2000 तक अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल थे। जिसके बाद 29 मार्च 2020 को उन्होंने मुंबई हाई कोर्ट के जज के रूप में चुना गया।
मुंबई हाई कोर्ट में 13 साल तक जज के रूप में कार्यरत रहे एवं फिर वह 31 मार्च 2013 को इलाहाबाद हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश के रूप में चुने गए।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्याय के रूप में करीब 3 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद उन्हें 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट का जज के रूप में उन्हें नियुक्त किया गया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने क्या कहा
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में शपथ लेने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि “आम लोगों की सेवा करेंगे। आप आने वाले दिनों में देखेंगे – चाहे वह प्रौद्योगिकी या रजिस्ट्री सुधार, या न्यायिक सुधारों के मामले में हो, “न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शपथ लेने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में कहा। “यह एक महान अवसर और जिम्मेदारी है। न केवल शब्दों के माध्यम से, बल्कि अपने काम के माध्यम से, मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि लोगों का न्यायपालिका में विश्वास बना रहे, ”
साथ ही उन्होंने यूयू ललित के विदाई समारोह में यह कहा कि “व्यक्तिगत रूप से, आपके उत्तराधिकारी के रूप में, मुझे पता है कि मेरे पास भरने के लिए बहुत बड़े आकार के जूते हैं क्योंकि आपने वास्तव में मुख्य न्यायाधीश के लिए बार उठाया है।”
CJI डीवाई चंद्रचूड़ का महत्वपूर्ण जजमेंट
समलैंगिकता– जस्टिस चंद्रचूड़ ने ही समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर निकाला एवं समलैंगिकता व्यक्ति को भी एक अधिकार प्रदान किया।
आधार अधिनियम– 2018 में जस्टिस चंद्रचूड़ ने ही आधार अधिनियम को जारी रखा और क्या कहा कि डिजिटल जमाना में हर व्यक्ति को अपने निजी जानकारी की रक्षा करने का अधिकार है।
सबरीमाला फैसला- CJI डीवाई चंद्रचूड़ भी उस पीठ का हिस्सा थे जिसने मासिक धर्म की उनके महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार प्रदान किया।